Zindagi
मेरा प्यार जो कहेगा, मैं तुम्हें वही कहूँगा
मेरा प्यार जो कहेगा, मैं तुम्हें वही कहूँगा
तुम्हें ज़िंदगी कहा है, तुम्हें ज़िंदगी कहूँगा
तुम्हें ज़िंदगी कहा है, तुम्हें ज़िंदगी कहूँगा
तुम्हें कितना मैंने ढूँढा, ये बताएँगे नज़ारे
मेरी बेक़रारियों के हैं गवाह ये सितारे
मैं गगन हूँ, तुम घटा हो, मैं नदी हूँ, तुम किनारा
मुझे कोई इस जहाँ में नहीं तुमसे बढ़ के प्यारा
करूँ क्यूँ ना तेरी पूजा? रखूँ क्यूँ ना दिल में तुझको?
मेरा घर तेरी बदौलत मेरा घर लगे है मुझको
तेरा नाम चाहे जो हो, तुझे रोशनी कहूँगा
तेरा नाम चाहे जो हो, तुझे रोशनी कहूँगा
तुम्हें ज़िंदगी कहा है, तुम्हें ज़िंदगी कहूँगा
कभी छाँव ने जो रोका, कभी धूप ने जो टोका
तो कहूँगा, मेरी ख़ातिर तू बसंत का है झोंका
कभी घर की खिड़कियों ने जो ये पूछा, कौन है तू?
तो कहूँगा, तू किरण है, तू गुलाब की है खुशबू
जो महकती वादियों ने कभी तेरा ज़िक्र छेड़ा
कभी मौसमों ने पूछा, मेरा क्या है तुझसे रिश्ता?
मैं कहूँगा, रात हूँ मैं, तुम्हें चाँदनी कहूँगा
मैं कहूँगा, रात हूँ मैं, तुम्हें चाँदनी कहूँगा
तुम्हें ज़िंदगी कहा है, तुम्हें ज़िंदगी कहूँगा
जहाँ तुम, वहीं सुकून है, कहीं और जाइए क्या?
मुझे तुम जो मिल गए हो, मुझे और चाहिए क्या?
तुम्हें और-और चाहूँ, यूँ ही चाहता रहूँ मैं
मेरे सामने रहो तुम, तुम्हें देखता रहूँ मैं
कोई नग़्मा तुमसे अच्छा ना तो गीत तुमसे बेहतर
किसी साज़ में नहीं है, जो है सुर तुम्हारे अंदर
तुम्हें होंठों से छूऊँगा, तुम्हें बाँसुरी कहूँगा
तुम्हें होंठों से छूऊँगा, तुम्हें बाँसुरी कहूँगा
तुम्हें जिंदगी कहा है, तुम्हें ज़िंदगी कहूँगा
मेरा प्यार जो कहेगा, मैं तुम्हें वही कहूँगा
तुम्हें ज़िंदगी कहा है, तुम्हें ज़िंदगी कहूँगा
तुम्हें ज़िंदगी कहा है, तुम्हें ज़िंदगी कहूँगा