Aansoo Jab Palkon Se Bahkar Aate Hain

Pankaj Udhas

आँसू जब भी पलकों से बहकर आते हैं
क्या बतलाए आप हूमें कितना याद आते हैं
आँसू जब भी पलकों से बहकर आते हैं
क्या बतलाए आप हूमें कितना याद आते हैं
आज भी पत्थर बनकर खड़े हैं उससी मोड़ पर
तुम ने जहाँ छ्चोड़ा था कहकर रूको हम आते हैं

याद हे अब भी हमे तेरे बिछड़ने का समा
रुक गए थे एक पल को ये जमीन और आसमान
रास्तो से मिट न पाए तेरे कदमो के निशान
आज भी हम राहों पर हे पलकों को बिछाते हे
क्या बतलाए आप हूमें कितना याद आते हैं

मेरी आँखों में नामी ज़ुल्फोन की बरसातो की हैं
मेरी सांसो में महेक गुज़री हुई रातो की हैं
मेरे होतों पे चमक अब भी तेरी बातो की हैं
जितना हुमको भूलना चाहे और भी याद आते हैं
क्या बतलाए आप हूमें कितना याद आते हैं

तू नही तो क्या हुआ परच्छाई तेरी मिल गयी
दिल के वीराने में जैसे एक काली सी खिल गयी
रास्ते की धूप जैसे चाँदनी में ढाल गयी
तेरे आँचल के साए बादल बनकर लहराते हैं
क्या बतलाए आप हूमें कितना याद आते हैं
आँसू जब भी पलकों से बहकर आते हैं
क्या बतलाए आप हूमें कितना याद आते हैं
आज भी पत्थर बनकर खड़े हैं उससी मोड़ पर
तुम ने जहाँ छ्चोड़ा था कहकर रूको हम आते हैं

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