Mana Kanton Se Bhari Huyi Hai

ANAND BAKSHI, KUDALKAR LAXMIKANT, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA

माना काँटों से भरी हुई हैं
माना काँटों से भरी हुई हैं
जीवन की गलियाँ
हो, जीवन की गलियाँ

अपने आँगन में खिली हुई हैं
खुशियों की कलियाँ
खुशियों की कलियाँ

ना कोई दुख है, ना कोई डर है
ये अपना घर है
अपने सपनों का मंदिर है
ये अपना घर है

ओ, कितना प्यारा है, कितना सुंदर है
कितना प्यारा है, कितना सुंदर है

राखी के दिन माँग ले कुछ तू
आज ना चुप रहना
हो, आज ना चुप रहना
तू माँगे तो जान भी दे दूँ मैं तुझको बहना
तू माँगे तो जान भी दे दूँ मैं तुझको बहना

हक़ सबसे पहले, ओ, तेरा मुझ पर है
अपने सपनों का मंदिर है
ये अपना घर है

हो, कितना प्यारा है, कितना सुंदर है
हो, कितना प्यारा है, हो, कितना सुंदर है
कितना सुंदर है, कितना सुंदर है

Curiosidades sobre a música Mana Kanton Se Bhari Huyi Hai de Nitin Mukesh

De quem é a composição da música “Mana Kanton Se Bhari Huyi Hai” de Nitin Mukesh?
A música “Mana Kanton Se Bhari Huyi Hai” de Nitin Mukesh foi composta por ANAND BAKSHI, KUDALKAR LAXMIKANT, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA.

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