Zidd

Kausar Munir

ना जमाने भर के बवालों से
न जबावों से, न सवालो से
ना दिल के टुकड़े करने वाले से

अब मैं खुद से लड़ गई हूं
अब मैं हद्द से बढ़ गई हूं
जो चाहे करले जमाना
अब मैं जिद पे अड़ गई हूं

अब मैं खुद से लड़ गई हूं
अब मैं से बढ़ गई हूं
जो चाहे करले जमाना
अब मैं जिद पे अड़ गई हूं

टक्क तक रोडे डाले रास्ता
ठोकर देकर भागे रस्ता
भाग के जाएगा तू कहां पे
अब मैं पीछे पड़ गई हूं

रग्ग रग्ग में दौड़े हैं जून बस

मंजिल से मिलके है सुकुन बसो
लाख बिच्छा दो पथ में कांटे
अब मैं जड़ से उखड़ गई हूं

अब मैं तह तक गद गई हूं
अब मैं सर पे चढ गई हूं
जो चाहे करले जमाना
अब मैं जिद पे अड़ गई हूं

अब मैं खुद से लड़ गई हूं
अब मैं हद से बढ़ गई हूं
जो चाहे करले जमाना

अब मैं जिद पे अड़ गई हूं

ना जमाने भर के इल्जामों से
ना तो अपने से न अंजनों से
ना हार जीत के अंजामों से

अब मैं खुद से लड़ गई हूं
अब मैं हद से बढ़ गई हूं
जो चाहे करले जमाना
अब मैं जिद पे अड़ गई हूं

अब मैं खुद से लड़ गई हूं
अब मैं हद से बढ़ गई हूं
जो चाहे करले जमाना
अब मैं जिद पे अड़ गई हूं

Curiosidades sobre a música Zidd de Nikhita Gandhi

De quem é a composição da música “Zidd” de Nikhita Gandhi?
A música “Zidd” de Nikhita Gandhi foi composta por Kausar Munir.

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