Bhooli Bisri
Razi Tirmizi
भूली बिसरी चंद उमीदें
चंद फ़साने याद आए
भूली बिसरी चाँद उमीदें
चंद फ़साने याद आए
चंद फ़साने याद आए
तुम याद आए और तुम्हारे
साथ ज़माने याद आए
साथ ज़माने याद आए
भूली बिसरी चंद उमीदें
दिल का नगर आबाद था फिर भी
खाक सी उड़ती रहती थी
खाक सी उड़ती रहती थी
कैसे ज़माने ऐ ग़म-ए-दौरा
तेरे बहाने याद आए
तेरे बहाने याद आए
भूली बिसरी चंद उमीदें
हँसने वालों से डरते थे
छुप छुप कर रो लेते थे
छुप छुप कर रो लेते थे
गहरी गहरी सोच में डूबे
दो दीवाने याद आए
दो दीवाने याद आए
तुम याद आए और तुम्हारे
साथ ज़माने याद आए
भूली बिसरी चंद उमीदें