Zindagi Kah Rahi Hai

SAYANTI, SHAILENDRA, MOZZAM AZM

हो ओ हु ल ल लला लला ल ओ हो
ज़िन्दगी कह रही है प्यार कर
दिल तेरा जो कहे यार कर
ज़िन्दगी कह रही है प्यार कर
दिल तेरा जो कहे यार कर
छेड नग्मा वक़्त
के हर साज पर
ख्वाबो की आवाज़ पर
कदमो की परवाज़ पर
ख्वाबो की आवाज़ पर
कदमो की परवाज़ पर
बेखुद अंदाज़ पर
ज़िन्दगी कह रही है प्यार कर
हाआआ अहा हा
हाआआ अहा हा
ला ला लला ला ला हो

रंग बिरंगे झिलमिलाते रास्ते
चल पड़ो के है तुम्हारे वास्ते
मुस्किलो से दिल जरा घबराये तो
कुछ बहकने का सलीका ए तो
हाथ मलती ही रहे तन्हाईया
इस तरह रोशन करे परछाईया
कोशिश न हो बात भर
चाहत न हो साथ भर
कोशिश न हो बात भर
चाहत न हो साथ भर
हलचल रहे रात भर

हाथ पे जब हाथ
रखदे हमसफ़र
ये जामी लगती है
कितनी मुख़तसर
जैसे मुठी में
सितारे आ गए
जैसे दामन में
नज़ारे आ गए
भर अंधेरो ने
शरारत की कहि
जल पड़े ह जुगनुओ
से है हम वही
मस्ती करे इस कदर
हम हो जाए बेअसर
मस्ती करे इस कदर
हम हो जाए बेअसर
रुक जाये शामों सहर
ज़िन्दगी कह रही है प्यार कर
हो हो हो हो हा हु हु हु हु

Curiosidades sobre a música Zindagi Kah Rahi Hai de Mohit Chauhan

De quem é a composição da música “Zindagi Kah Rahi Hai” de Mohit Chauhan?
A música “Zindagi Kah Rahi Hai” de Mohit Chauhan foi composta por SAYANTI, SHAILENDRA, MOZZAM AZM.

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