Manmeet Mere

Shabbir Ahmed

मैं जब भी देखू आगे
ना देखू कुछ तेरे आगे
मैं जब भी सोचू आगे
ना सोचू कुछ तेरे आगे
कुछ तो बात आगे बढ़ी हैं
जो राहो से राहे जुड़ी हैं
मनमीत मेरे मनमीत मेरे
मनमीत मेरे मनमीत मेरे

वो हो ओ ओ ओ

परेशान जितना भी मन हो
दिन भर की जो भी उलजन हो
वो हो ओ ओ ओ
परेशान जितना भी मन हो
दिन भर की जो भी उलजन हो
मिलते ही शाम तू जो हस दे
फिर दूर सारी थकन हो
वो हो ओ ओ ओ
हस्ते हस्ते बीते घड़ी हैं
दुनिया की हमे ना पड़ी हैं
मनमीत मेरे मनमीत मेरे
मनमीत मेरे मनमीत मेरे

हर राह मे पास हम हो
एक साथ अपने कदम हो
वो हो ओ ओ ओ
हर राह मे पास हम हो
एक साथ अपने कदम हो
जब तक चले अपनी साँसे
ये यारिया ना खतम हो
ओ ओ
खुशियो की ये केसी लड़ाई हैं
यारो यारी प्यारी बड़ी हैं
मनमीत मेरे मनमीत मेरे
मनमीत मेरे मनमीत मेरे
वो हो ओ ओ ओ

Curiosidades sobre a música Manmeet Mere de Mohit Chauhan

De quem é a composição da música “Manmeet Mere” de Mohit Chauhan?
A música “Manmeet Mere” de Mohit Chauhan foi composta por Shabbir Ahmed.

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