Tum Puchhte Ho Ishq Bala Hai Ki
तुम पुचछटे हो इश्क़
भला है के नही है
तुम पुचछटे हो इश्क़
भला है के नही है
क्या जाने तुम्हे ख़ौफे
खुदा है के नही है
तुम पुचछटे हो इश्क़
भला है के नही
जीने का हुनर सबको
सिखाता है यही इश्क़
इंसान को इंसान
बनाता है यही इश्क़
बंदे को खुदा करके
दिखता है यही इश्क़
इश्स इश्क़ की तौहीन
कटा है के नही है
तुम पुचछटे हो इश्क़
भला है के नही
माना है बड़ी दर्द
भारी इश्क की रुड़ाद
होती नही मिटाकर
भी मोहब्बत कभी बर्बाद
हर दौर मे मजनू हुए
हर दौर मे फरहाद
हर साज़ मे आज उनकी
सदा है के नही है
तुम पुचछटे हो इश्क़
भला है के नही
गम फूल ने फलने तक बुलाकर तो देखो
अगर इश्क़ से कदमो मैं झुकार तो देखो
घर बार मोहब्बत मैं लुटा कर भी देखो
खोने मैं जो पाने का मजा है
के नहीं है
तुम सोचते हो देख भला है की नहीं
जब हो ही गया प्यार
तो संसार का दर्र क्या
है कौन भला कौन बुरा
इसकी खबर क्या
दिल मे ना उतार जाए
तो उलफत की नज़र क्या
हम दिल के पुजारी हैं
पता है के नही है
तुम पुचछटे हो इश्क़
भला है के नही है
क्या जाने तुम्हे ख़ौफे
खुदा है के नही है
तुम पुचछटे हो इश्क़
भला है के नही है