Shamma Bujhne Ko Chali

Chitragupta, Majrooh Sultanpuri

हो ओ ओ हो ओ ओ ओ ओ
शम्मा बुझने को चली
शम्मा बुझने को चली
शम्मा बुझने को चली
शम्मा बुझने को चली
है यही दर्द की जल जाये पतंगा न कहीं
शम्मा बुझने को चली
शम्मा बुझने को चली

उसने चाहा की मेरा चाहनेवाला तोह रहे
उसने चाहा की मेरा चाहनेवाला तोह रहे
मैं रहूँ या न रहूँ घर का उजाला तोह रहे
अपने प्रीतम के लिए छोड़ दी प्रीतम की गली
शम्मा बुझने को चली
शम्मा बुझने को चली

भुलकर सबको बस इक अपनी वफ़ा साथ लिए
भुलकर सबको बस इक अपनी वफ़ा साथ लिए
अपने ही अश्कों में भीगी हुयी इक रात लिए
गम के तूफान में घिरी ठोकरें खाती निकली
शम्मा बुझने को चली
शम्मा बुझने को चली

अपने बेगाने छूटे लख्ते जिगर टूट गया
अपने बेगाने छूटे लख्ते जिगर टूट गया
गम के शोलो में छुपी ऐसी के घर टूट गया
डुबने आयी है पानी मैं नशिबो की जली
शम्मा बुझने को चली

Curiosidades sobre a música Shamma Bujhne Ko Chali de Mohammed Rafi

De quem é a composição da música “Shamma Bujhne Ko Chali” de Mohammed Rafi?
A música “Shamma Bujhne Ko Chali” de Mohammed Rafi foi composta por Chitragupta, Majrooh Sultanpuri.

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