Rukh Se Parda To Hata Zara

Anjum Jaipuri

रुख़ से परदा तो हटा
ज़रा नज़रें तो मिला
ओ मेरे दिलरूबा आह आ
रुख़ से परदा तो हटा
ज़रा नज़रें तो मिला
ओ मेरे दिलरूबा आह आ आ
रुख़ से परदा तो हटा
ज़रा नज़रें तो मिला

रात खामोश हुई

जैसे मदहोश हुई

रात खामोश हुई
जैसे मदहोश हुई
मेरी बेताब नज़र
मेरी बेताब नज़र
करती है तुझसे गिला
रुख़ से परदा तो हटा
ज़रा नज़रें तो मिला
ओ मेरे दिलरूबा
रुख़ से परदा तो हटा
ज़रा नज़रें तो मिला

क्या है तारीफ तेरी
हर अदा नाज़ भरी नाज़ भरी
क्या है तारीफ तेरी
हर अदा नाज़ भरी नाज़ भरी
तेरी आँखों की कसम

तेरी आँखों की कसम
कोई तुझसा सा न मिला
रुख़ से परदा तो हटा
ज़रा नज़रें तो मिला
ओ मेरे दिलरूबा
रुख़ से परदा तो हटा
ज़रा नज़रें तो मिला
ओ मेरे दिलरूबा आह आ आ
रुख़ से परदा तो हटा
ज़रा नज़रें तो मिला

Curiosidades sobre a música Rukh Se Parda To Hata Zara de Mohammed Rafi

De quem é a composição da música “Rukh Se Parda To Hata Zara” de Mohammed Rafi?
A música “Rukh Se Parda To Hata Zara” de Mohammed Rafi foi composta por Anjum Jaipuri.

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