Roodade Ghame Ulfat Unse
Sahir, S D Burman
रुदादे गमे उल्फत उनसे
हम क्या केह्ते ,क्यूं कर केहते
एक हर्फ ना निकला होठों से
और आंख में आंसू आ भी गये (वाह वाह क्या कहने)
उस मेहफिले कैफो मस्ती में
उस अंजुमने इरफानी में
सब जाम बक़फ बैठे ही रहे
हम पी भी गये छलका भी गये (वाह वाह)
सब जाम बक़फ बैठे ही रहे
हम पी भी गये छलका भी गये (वाह, वाह, बहुत खुब, वाह वाह, मरहबा)
मरहबा-मरहबा शुभान अल्लाह