Parwardigar E Aalam [Short]
AKHTAR ROMANI, S. N. TRIPATHI
परवर दीगर ए आलम
तेरा ही है सहारा
तेरे सिवा जहाँ में
कोई नहीं हमारा
परवर दीगर ए आलम
यौनुस को तूने मछली
के पेट से निकाला
तूने ही मुश्किलों में
अब को संभाला
इल्यास पर करम का
तूने किया उजाला
है दो जहाँ में या रब
तेरा ही बोल बाला
तूने सदा इलाही
बिगड़ी को है सँवारा
परवर दीगर ए आलम
तेरा ही है सहारा
परवर दीगर ए आलम