Na Kisi Ki Aankh Ka Noor Hoon

S N tripathi, Zafar Bahadur Shah

न किसी की आँख का नूर हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ
न किसी के दिल का क़रार हूँ
जो किसी के काम न आ सके
मैं वो एक मुश्त-ए-गुबार हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ

न तो मैं किसी का हबीब हूँ
न तो मैं किसी का रक़ीब हूँ
जो बिगड़ गया वो नसीब हूँ
जो उजड़ गया वो दयार हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ

मेरा रंग-रूप बिगड़ गया
मेरा यार मुझसे बिछड़ गया
जो चमन फ़िज़ां में उजड़ गया
मैं उसी की फ़स्ल-ए-बहार हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ

पए-फ़ातेहा कोई आये क्यूँ
कोई चार फूल चढ़ाये क्यूँ
कोई आ के शम्मा जलाये क्यूँ
मैं वो बेकसी का मज़ार हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ

Curiosidades sobre a música Na Kisi Ki Aankh Ka Noor Hoon de Mohammed Rafi

De quem é a composição da música “Na Kisi Ki Aankh Ka Noor Hoon” de Mohammed Rafi?
A música “Na Kisi Ki Aankh Ka Noor Hoon” de Mohammed Rafi foi composta por S N tripathi, Zafar Bahadur Shah.

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