Man Re Tu Kahe Na Dheer Dhare
Roshan, Sahir Ludhianvi
मन्न रे तू कहे ना धीर धरे
ओ निर्मोही मोह ना जाने जिनका मोह करे
मन्न रे तू कहे ना धीर धरे
इस जीवन की चढ़ती ढलती
धुप को किस ने बाँधा
रंग पे किसने पहरे डाले
रूप को किसने बाँधा
कहे यह जातां करे
मन्न रे तू कहे ना धीर धरे
उतना ही उपकार समझ कोई
जितना साथ निभा दे
जनम मरण का मेल है सपना
यह सपना बिसरा दे
कोई न संग मरे
मन्न रे तू कहे ना धीर धरे
ओ निर्मोही मोह ना जाने जिनका मोह करे
हो मन्न रे तू कहे ना धीर धरे