Lahoo Ko Lahoo Pukarega [Part 3]
RAJENDRA KRISHAN, LAXMIKANT PYARELAL
हरी ओम के पास पड़ा हे सबसे माँ का जाल
हरी ओम के पास पड़ा हे सबसे माँ का जाल
माँ के आंसू गंगा जल हे धो देंगे सब पाप
किसके देने बरसो के भी सिर्फ खून की होली
माँ ने उसको गले लगाया पाप की काया डोली
प्रीत भवर में
प्रीत भवर में डूबी नैया माँ का प्यार उभारे गा
लहू को लहू पुकारेगा
लहू को लहू पुकारेगा
जनम जनम का बंधन
रग रग में मौजे मरेगा
लहू को लहू पुकारेगा
लहू को लहू पुकारेगा