Kavita Naam Hai Gyan Ka
कविता नाम है ज्ञान का इसे
लिखने वेल ज्ञानी
उनका बेटा बने कवि
ये है उसकी नादानी ढोर कहराने
वेल भसह के रस को क्या जाने
ऐसे कवि तो कला अक्षर भैईस
बराबर माने
ऐसे कवि डुबोय लुटिया
कविता लिखने वालो की
ऐसे कवि डुबोय लुटिया
कविता लिखने वालो की
नई कल्पना गई भाड़ मे
धूम मची नक्सलो की
ढोर चलाने वालो की
ज्ञान प्रभु की डैन है
नही किसी की ये जहगीर
जाग को बूढ़ी डायने वाला देखे ना
ग़रीब आमिर रामायण से बढ़ कर अछा
ओर नही कोई नायक उसके लिखने
वेल डाकू वाल्मीकि को देख
जात पाट ना पूछे कोई कविता
लिखने वालो की
जात पाट ना पूछे कोई कविता
लिखने वालो की
महल छोड़ बनी ये दासी बोझ उठाने ग्वालो की
कविता लिखने वालो की
पड़ा कवि है कही का तो एक
बात बता जगत मे पहले पहाइल पहला
छान किसने लिखा सवाल इतना बड़ा है
जवाब छोटा सा जगत वो चाँद है
जगदीश ने इसे इका