Isko Bhi Apnata Chal Usko Bhi

Neeraj, Roshan

हम्म हम्म
इसको भी अपनाता चल, उसको भी अपनाता चल
राही है सब एक डगर के सब पर प्यार लूटता चल
इसको भी अपनाता चल
इधर कफ़न तक नही लाश पर उधर नुमाइश रेशम की
यहाँ स्वयंवर करे चाँदनी वहाँ ना रात कटे गम की
धरती कंकड़ पत्थर मारे अंबार उगले अँगारे
कोई पुच्छे बात ना इस बगिया मे दुखिया शबनम की
सुख की उम्र बढ़ता चल, दुख को कफ़न ओढाता चल
मिले जहाँ भी महल उसे कुटिया के पास बुलाता चल
इसको भी अपनाता चल

बिका बिकी सब ओर मची है आने आ दो आनो पर
अस्मत बिके दोराहो पर तो प्यार बिके दुकानो पर
डगर डगर पर मंदिर मस्जिद क़दम क़दम पर गुरुद्वारे
भगवानो की बस्ती मे है ज़ुल्म बहुत इंसानो पर
खिड़की हर खुलवाता चल, साकल हर कटवाता चल
इस पर भी रोशनी ना हो तो दिल का दिया जलता चल
इसको भी अपनाता चल, उसको भी अपनाता चल
राही है सब एक डगर के सब पर प्यार लूटता चल
इसको भी अपनाता चल

ह्रदय ह्रदय के बीच ख़ाइयाँ लहू बिच्छा मैदानों मे
घूम रहे है युद्ध सड़क पर शांति छिपी शमशानों मे
ज़ंजीरे कट गई मगर आज़ाद नही इंसान अभी
दुनिया भर की खुशी क़ैद है चाँदी जड़े मकानो मे
तट तट रास रचाता चल, पनघट पनघट गाता चल
प्यासा है हर प्राण नयन का गंगाजल छलकाता चल
इसको भी अपनाता चल
नयन नयन तरसे सपनो को आँचल तरसे फुलो को
आँगन तरसे त्योहारो को गलिया तरसे झूलो को
किसी होठ पर बजे ना बंसी किसी हाथ मे बिन नही
उमर समुन्दर की दे डाली किस ने चंद बगुलों को
सोई किरण जगाता चल, रूठी सुबह मनाता चल
प्यार नक़ाबो मे ना बंद हो हर घूँघट खुलवाता चल
इसको भी अपनाता चल, उसको भी अपनाता चल

Curiosidades sobre a música Isko Bhi Apnata Chal Usko Bhi de Mohammed Rafi

De quem é a composição da música “Isko Bhi Apnata Chal Usko Bhi” de Mohammed Rafi?
A música “Isko Bhi Apnata Chal Usko Bhi” de Mohammed Rafi foi composta por Neeraj, Roshan.

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