Ghar Ki Murgi Dal Barabar - Wo Phool Sar Chadha

Hasrat Jaipuri, SURAJ

घर की मुर्गी डाल बराबर
घर की मुर्गी डाल बराबर
कोई ना पुच्छे बात भी आकर
नाम ज़रा भी कुछ हो जाए
दुनिया आकर गले लगाए
घर की मुर्गी दाल बराबर
घर की मुर्गी दाल बराबर

कल तो हम और थे
आज हम और है
क्या से क्या हो गया
आग में दौर है
कल तो हम और थे
आज हम और है
क्या से क्या हो गया
आग में दौर है
यह वतन भी मेरा
मेहर्बा हो गया
यह वतन भी मेरा
मेहर्बा हो गया
हो गया हो गया हो
गया हो गया
घर की मुर्गी दाल बराबर
घर की मुर्गी दाल बराबर

क्या काहु माजरा
हर सनम है फिदा
बन गयी दोस्ती डुस्मानी अदा
क्या कहु माजरा
हर सनम है फिदा
बन गयी दोस्ती डुस्मानी अदा
जो कोई दूर था
पास वो आ गया
जो कोई दूर था
पास वो आ गया
आ गया आ गया आ गया
घर की मुर्गी डाल बराबर
घर की मुर्गी डाल बराबर

हा वोही तो बड़ा जो
बदल दे जहा
ना मिले वो जमी
गिर पड़े आस्मा
हा वोही तो बड़ा
जो बदल दे जहा
ना मिले वो जमी
गिर पड़े आस्मा
मई यहा मई वाहा
हर तरफ च्छा गया
मई यहा मई वाहा
हर तरफ च्छा गया
च्छा गया च्छा
गया च्छा गया
घर की मुर्गी दाल बराबर
कोई ना पूछे बात भी आकर
नाम ज़रा भी कुछ हो अजये
दुनिया आकर गले लगाए
घर की मुर्गी दाल बराबर
घर की मुर्गी दाल बराबर

Curiosidades sobre a música Ghar Ki Murgi Dal Barabar - Wo Phool Sar Chadha de Mohammed Rafi

De quem é a composição da música “Ghar Ki Murgi Dal Barabar - Wo Phool Sar Chadha” de Mohammed Rafi?
A música “Ghar Ki Murgi Dal Barabar - Wo Phool Sar Chadha” de Mohammed Rafi foi composta por Hasrat Jaipuri, SURAJ.

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