Dharti Kahe Pukar Ke

LAXMIKANT PYARELAL, MAJROOH SULTANPURI

ओ हो ओ ओ ओ

ओ ओ ओ ओ ओ

धरती कहे पुकार के
धरती कहे पुकार के
हो मुझको चाहने वाले
किसलिए बैठा हार के
मेरा सब कुछ उसी का है
जो छू ले मुझको प्यार से
धरती कहे पुकार के
धरती कहे पुकार के

है अजब सी बात जिस पे
मुझको हंसना आए
है अजब सी बात जिस पे
मुझको हंसना आए
जो मुझि से है वो
मेरी माटी से शरमाए
आ पास मेरे मतवाले
भरम ये क्यों बेकार के
मेरा सब कुछ उसी का है
जो छू ले मुझको प्यार से
धरती कहे पुकार के
धरती कहे पुकार के

आबरू जग मै उसकी
जो बस इतना जाने
आबरू जग मै उसकी
जो बस इतना जाने
हल चले एक हाथ में
इक हाथ कलम को थामे
फिर तुज पे शीश झुकेगे सारे ही संसार के
मेरा सब कुछ उसी का है
जो छू ले मुझको प्यार से
धरती कहे पुकार के
धरती कहे पुकार के
ओ मुझको चाहने वाले
किसलिए बैठा हार के
मेरा सब कुछ उसी का है
जो छू ले मुझको प्यार से
धरती कहे पुकार के
धरती कहे पुकार के

Curiosidades sobre a música Dharti Kahe Pukar Ke de Mohammed Rafi

De quem é a composição da música “Dharti Kahe Pukar Ke” de Mohammed Rafi?
A música “Dharti Kahe Pukar Ke” de Mohammed Rafi foi composta por LAXMIKANT PYARELAL, MAJROOH SULTANPURI.

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