Chal Ud Jare Panchhi [2]

CHITRAGUPTA, RAJINDER KRISHAN

चल उड़ जा रे पंछी
चल उड़ जा रे पंछी
की अब ये देश हुआ बेगाना
चल उड़ जा रे पंछी
की अब ये देश हुआ बेगाना
चल उड़ जा रे पंछी

ख़तम हुए दिन उस डाली के
जिस पर तेरा बसेरा था
ख़तम हुए दिन उस डाली के
जिस पर तेरा बसेरा था
आज यहाँ और कल हो वह
ये जोगी वाला फेरा था
ये तेरी जागीर नही थी
ये तेरी जागीर नही थी
चार घड़ी का डेरा था
सदा रहा है इस दुनिया में
किस का आबू दाना
चल उड़ जा रे पंछी
की अब ये देश हुआ बेगाना
चल उड़ जा रे पंछी
की अब ये देश हुआ बेगाना
चल उड़ जा रे पंछी

तूने तिनका तिनका चुन कर नगरी एक बसाई
तूने तिनका तिनका चुन कर नगरी एक बसाई
बारिश में तेरी भिगी पाखे धुप में गरमी खाए
गम ना कर गम ना कर जो तेरी मेहनत तेरे काम ना आई
अच्छा है कुछ ले जाने से देकर ही कुछ जाना
चल उड़ जा रे पंछी की अब ये देश हुआ बेगाना
चल उड़ जा रे पंछी

Curiosidades sobre a música Chal Ud Jare Panchhi [2] de Mohammed Rafi

De quem é a composição da música “Chal Ud Jare Panchhi [2]” de Mohammed Rafi?
A música “Chal Ud Jare Panchhi [2]” de Mohammed Rafi foi composta por CHITRAGUPTA, RAJINDER KRISHAN.

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