Bata Mujhe O Jahan Ke Malik

MADAN MOHAN, MAJROOH SULTANPURI

मालिक मैं पूछता हु
मुझे तू जवाब दे
बहते है क्यों गरीब के
आंसू जवाब दे

बता मुझे ओ जहाँ के मालिक
ये क्या न ज़ारे दिखा रहा है
तेरे समुदर में क्या कमी थी
के आदमी को रुला रहा है

कभी हंसाए कभी रूलादे
ये खेल कैसा है तू बता दे

कभी हंसाए कभी रूलादे
ये खेल कैसा है तू बता दे
जिसे बनाया था अपने हाथों
उसी को अब क्यों मिटा रहा है
तेरे समुदर में क्या कमी थी
के आदमी को रुला रहा है

वो खुद ही ग़म से बुझा बुझा है
तेरा फिर इस में कमाल क्या है
वो खुद ही ग़म से बुझा बुझा है
तेरा फिर इस में कमाल क्या है
की एक दीपक की राह में तू
हज़ारो तूफ़ान उठा रहा है
बता मुझे ओ जहाँ के मालिक
ये क्या नज़ारे दिखा रहा है
तेरे समुदर में क्या कमी थी
के आदमी को रुला रहा है

Curiosidades sobre a música Bata Mujhe O Jahan Ke Malik de Mohammed Rafi

De quem é a composição da música “Bata Mujhe O Jahan Ke Malik” de Mohammed Rafi?
A música “Bata Mujhe O Jahan Ke Malik” de Mohammed Rafi foi composta por MADAN MOHAN, MAJROOH SULTANPURI.

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