Woh Raat Din Woh Sham Ki
वो रात दिन वो शाम की
गुज़री हुई कहानियाँ
वो रात दिन वो शाम की
गुज़री हुई कहानियाँ
जा तेरे घर मे छ्चोड़ दी
प्यार की सब निशानियाँ
वो रात दिन वो शाम की
गुज़री हुई कहानियाँ
साबरा ओ क़रार च्चीं गया
घर था सो वो भी लूट गया
साबरा ओ क़रार च्चीं गया
घर था सो वो भी लूट गया
याद रहेगी उमरा भर
आप की महरबानियाँ
वो रात दिन वो शाम की
गुज़री हुई कहानियाँ
जा तेरे घर मे छ्चोड़ दी
प्यार की सब निशानियाँ
आए भी और चले गये
दिन मेरे बहार के
आए भी और चले गये
दिन मेरे बहार के
अब है फ़िज़ा की गोद मे
रोटी हुई जवाणियाँ
वो रात दिन वो शाम की
गुज़री हुई कहानियाँ
जा तेरे घर मे छ्चोड़ दी
प्यार की सब निशानियाँ