Raaton Ko Jab Neend Na Aaye
रातों को जब नींद उड़ जाए
घड़ी घड़ी याद कोई आए
किसी भी सूरत से बहले न दिल
तब क्या किया जाए बोलो क्या किया जाए
रातों को जब नींद उड़ जाए
घड़ी घड़ी याद कोई आए
किसी भी सूरत से बहले न दिल
तब क्या किया जाए बोलो क्या किया जाए
ये तो प्यार का रोग है रोग बुरा
जिसे एक दफ़ा ये लगा तो लगा
ये तो प्यार का रोग है रोग बुरा (अहाहाआ)
जिसे एक दफ़ा ये लगा तो लगा (अहाहाआअ)
चंदा को देख, आग लग जाए
तनहई में चाँदनी न भाए
ठंडी हवाओं में काँपे बदन
तब क्या किया जाए बोलो क्या किया जाये
ये तो प्यार का रोग है रोग बुरा
जिसे एक दफ़ा ये लगा तो लगा
ये तो प्यार का रोग है रोग बुरा (अहाहाआ)
जिसे एक दफ़ा ये लगा तो लगा (अहाहाआअ)
होंठों पे एक नाम आए जाए
आँखों में एक छब मुस्काए
दर्पण में सूरत पराई दिखे
तब क्या किया जाए बोलो क्या किया जाए
ये तो प्यार का रोग है रोग बुरा
जिसे एक दफ़ा ये लगा तो लगा
ये तो प्यार का रोग है रोग बुरा (अहाहाआ)
जिसे एक दफ़ा ये लगा तो लगा (अहाहाआअ)
सखियों के बीच दिल घबराए
डर हो कहीं बात खुल जाए
लेकिन अकेले में धड़के जिया
तब क्या किया जाए बोलो क्या किया जाये
ये तो प्यार का रोग है रोग बुरा
जिसे एक दफ़ा ये लगा तो लगा
ये तो प्यार का रोग है रोग बुरा (अहाहाआ)
जिसे एक दफ़ा ये लगा तो लगा (अहाहाआअ)