Main Kahan Ab Jism Hoon

Javed Akhtar

मैं कहाँ अब जिस्म हूँ
एहसास ही एहसास हूँ
मैं कहाँ अब जिस्म हूँ
एहसास ही एहसास हूँ
मैं उजली की तरह तेरे
दिए के पास हूँ
मैं कहाँ अब जिस्म हूँ
एहसास ही एहसास हूँ एहसास हूँ

मेरे हाथों की लकीरें
मेरे हाथों की लकीरें
मुझको तुझ टक लाई हैं
मेरे हाथों की लकीरें
मुझको तुझ टक लाई हैं
मेरे हाथों की लकीरें
मेरे हाथों की लकीरें
मुझको तुझ टक लाई हैं
तू बता दे मैं कहाँ हूँ
दूर हूँ या पास हूँ
मैं उजली की तरह तेरे
दिए के पास हूँ
मैं कहाँ अब जिस्म हूँ
एहसास ही एहसास हूँ एहसास हूँ

तुम मुझे अपनी घटायें
तुम मुझे अपनी घटायें
दे भी जाओगे तो क्या
तुम मुझे अपनी घटायें
दे भी जाओगे तो क्या
तुम मुझे अपनी घटायें
तुम मुझे अपनी घटायें
दे भी जाओगे तो क्या
जो सुलगती हे रहे उस
धूप की मैं प्यार हूँ
मैं उजली की तरह तेरे
दिए के पास हूँ
मैं कहाँ अब जिस्म हूँ
एहसास ही एहसास हूँ एहसास हूँ

मेरे बारे में अभी कुछ
मेरे बारे में अभी कुछ
राई क़ायम्मत करो
मेरे बारे में अभी कुछ
राई क़ायम्मत करो
मेरे बारे में अभी कुछ
मेरे बारे में अभी कुछ
राई क़ायम्मत करो
जो हक़ीकत से अलग है
मैं वो ऐसा कयास हूँ
मैं उजाले की तरह तेरे
दिए के पास हूँ
मैं कहाँ अब जिस्म हूँ
एहसास ही एहसास हूँ एहसास हूँ

Curiosidades sobre a música Main Kahan Ab Jism Hoon de Lata Mangeshkar

De quem é a composição da música “Main Kahan Ab Jism Hoon” de Lata Mangeshkar?
A música “Main Kahan Ab Jism Hoon” de Lata Mangeshkar foi composta por Javed Akhtar.

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