Khinche Hamse Sanware

Laxmikant Pyarelal, Majrooh Sultanpuri

ओ हो हो हो

खींचे हमसे सावरे इतने क्यों हो
खींचे हमसे सावरे इतने क्यों हो
रोको पागल मन को जिसने चाहा तुमको
मेरी बाहों से परे इतने क्यों हो
खींचे हमसे सावरे इतने क्यों हो

रुत ये दूरी की नही है हो हो हो
रुत ये दूरी की नही है
गोरी कही है पि कही है
रुकिए तो अरे रुकिए तो
अरे अरे ऐसा क्या अरे र रे सुनिये तो हा
रोको चंचल मन को के जिसने चाहा तुमको हो हो
अजीब से नई बड़े इतने क्यों हो
खींचे हमसे सावरे इतने क्यों हो

कभी न पूछा हाल मेरा हो
कभी न पूछा हाल मेरा
लगे उजाला भी अँधेरा ग़म अब तो अरे रे रे रुकता है
अरे अरे मन मेरे अरे रे रे दुखता है हा
रोको व्याकुल मन को के
जिसने चाहा तुमको
पिया अपनों से फिर इतने क्यों हो
खींचे हमसे सावरे इतने क्यों हो

प्यार की हूँ मैं तो प्यासी हो
प्यार की हूँ मैं तो प्यासी
तुम न समझे ये उदासी
आगे और न न न न कहना क्या आहू आहू
तुम्हरे बिन न न न न रहना क्या
रोको पागल मन को के जिसने चाहा तुम को हो हो
चतुर होक बवरे इतने क्यों हो
खींचे हमसे सावरे इतने क्यों हो
रोको पागल मन को के जिसने चाहा तुम को
मेरी बाहों से परे इतने क्यों हो
खींचे हमसे सावरे इतने क्यों हो

Curiosidades sobre a música Khinche Hamse Sanware de Lata Mangeshkar

De quem é a composição da música “Khinche Hamse Sanware” de Lata Mangeshkar?
A música “Khinche Hamse Sanware” de Lata Mangeshkar foi composta por Laxmikant Pyarelal, Majrooh Sultanpuri.

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