Kahan Ho Tum Zara Awaz Do

Kaif Irfani, Roshan

कहाँ हो तुम, ज़रा आवाज़ दो, हम याद करते हैं
कभी भरते हैं आहें और कभी फ़रियाद करते हैं
कहाँ हो तुम ज़रा आवाज़ दो

जुदा बुलबुल है अपने फूल से और रो के कहती है
जुदा बुलबुल है अपने फूल से और रो के कहती है
सारी दुनिया दिया वो ज़ुल्म हो सय्याद करते हैं
कहाँ हो तुम ज़रा आवाज़ दो

जहाँ हैं और अब जिस हाल में हैं, हम तुम्हारे हैं
जहाँ हैं और अब जिस हाल में हैं, हम तुम्हारे हैं
तुम्ही आबाद हो दिल में, तुम्ही को याद करते हैं
कहाँ हो तुम, ज़रा आवाज़ दो, हम याद करते हैं (आ आ आ आ )

हमारी बेबसी ये है कि हम कुछ कह नहीं सकते
हमारी बेबसी ये है कि हम कुछ कह नहीं सकते
वफ़ा बदनाम होती है अगर फ़रियाद करते हैं
कहाँ हो तुम ज़रा आवाज़ दो

तेरे कदमों में रहने की तमन्ना दिल में रखते हैं
तेरे कदमों में रहने की तमन्ना दिल में रखते हैं
जुदा दुनिया ने हमको कर दिया फ़रियाद करते हैं
कहाँ हो तुम, ज़रा आवाज़ दो, हम याद करते हैं
कहाँ हो तुम

Curiosidades sobre a música Kahan Ho Tum Zara Awaz Do de Lata Mangeshkar

De quem é a composição da música “Kahan Ho Tum Zara Awaz Do” de Lata Mangeshkar?
A música “Kahan Ho Tum Zara Awaz Do” de Lata Mangeshkar foi composta por Kaif Irfani, Roshan.

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