Do Nainon Ne Jaal Bichhaya
दो नैनो ने जाल बिच्छाया
और दो नैना उलझ
गये उलझ गये
एक वही बेदर्द ना समझा
दुनियावले समझ
गये समझ गये
दिल था एक बचपन का साथी
वो भी मुझको छोड़ गया
वो भी मुझको छोड़ गया
निकट अनाड़ी अंजाने से
मेरा नाता जोड़ गया
मैं बिरहण प्यासी की प्यासी
सावन आए बरस
गये बरस गये
बैठे हैं वो तन मन घेरे
बैठे हैं वो तन मन घेरे
बैठे हैं वो तन मन घेरे
फिर भी कितनी दूर हैं वो
मैं तो मारी लाज शरम की
किस कारण मजबूर हैं वो
जल में डूबे नैन हमारे
फिर भी प्यासे तरस
गये तरस गये
दो नैनों ने जाल बिच्छाया