Dard Minnat Kash-E-Dawa Na Hua - Lofi
कुछ तो पढ़िए कि लोग कहते हैं
आज 'ग़ालिब' ग़ज़ल-सरा न हुआ
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ
दर्द मिन्नत-कश-ए
जम्अ' करते हो क्यूँ रक़ीबों को
जम्अ' करते हो क्यूँ रक़ीबों को
इक तमाशा हुआ गिला न हुआ
इक तमाशा हुआ
है ख़बर गर्म उन के आने की
है ख़बर गर्म उन के आने की
आज ही घर में बोरिया न हुआ
आज ही घर में
क्या वो नमरूद की ख़ुदाई थी
क्या वो नमरूद की ख़ुदाई थी
बंदगी में मिरा भला न हुआ
बंदगी में मिरा
जान दी दी हुई उसी की थी
जान दी दी हुई उसी की थी
हक़ तो यूँ है कि हक़ अदा न हुआ
हक़ तो यूँ है कि हक़ अदा न हुआ
दर्द मिन्नत-कश-ए