Chitthiye [Jhankar]
चिट्ठिये पंख लगा के उड़ जा
गैर के हाथ न आवि
खैर खबर लए आवि अडिये
खैर खबर लैजावी
हो हो
चिट्ठिये नि दर्द फ़िराक़ वालिये
लैजा लैजा सनेड़ा सोणी यार दा
ओ लैजा लैजा संदेसा सोणी यार दा
तेनु वस्ता है, दिल दी पुकार दा
चिट्ठिये दर्द फ़िराक़ वालिये
लैजा लैजा सनेड़ा सोणी यार दा
ओ लेजा लेजा संदेसा सोणी यार दा
पल्ले विच अग्गदे अँगारे नहीं लूकदे
हो ओ ओ पल्ले विच अग्गदे अँगारे नहीं लूकदे
इश्क़ ते मुशक छुपाये नहीं छुपदे
फिर भी ये राज़
फिर भी ये राज़ जान जाती है दुनिया
होंठों पे लगा ले चाहे ताले कोई चुपदे
होंठों पे लगा ले चाहे ताले कोई चुपदे
ओ टूटा कतरा ते युग दा ये प्यार दा
चिट्ठिये, चिट्ठिये
चिट्ठिये दर्द फ़िराक़ वालिये
लैजा लैजा सनेड़ा सोणी यार दा
ओ लैजा लैजा संदेसा सोणी यार दा
हो आ आ
आवे ना बिछोड़ा कोई बिछड़े ना यार से
हो ओ आवे ना बिछोड़ा कोई बिछड़े ना यार से
सुनते है आंसुओ का रिश्ता है प्यार से
आसुंओं से दर्द के
आसुंओं से दर्द के शोले नहीं बुझते
हायो रब्बा मौत चंगी लम्बे इंतज़ार से
हायो रब्बा मौत चंगी लम्बे इंतज़ार से
हो दुःख देना ना किसको इंतज़ार दा
चिट्ठिये दर्द फ़िराक़ वालिये
लैजा लैजा सनेड़ा सोणी यार दा
हो लैजा लैजा संदेसा सोणी यार दा
चिट्ठिये, चिट्ठिये
चिट्ठिये, ओ चिट्ठिये