Babul Ka Ghar Chhodke Gori

Sarshar Sailani

बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गयी आज परायी रे
डोली देख जियरा डोले
आँख नीर भर लायी रे

प्यारी जग की रीत सखियो
कौन किसी का मीत सखियो
प्यारी जग की रीत सखियो
कौन किसी का मीत सखियो
झूठी सब की प्रीत सखियो
किसने प्रीत निभायी रे
बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गयी आज परायी रे
डोली देख जियरा डोले
आँख नीर भर लायी रे

जिन गलियों में बचपन बीता
खोली आँख जवानी ने
उन गलियों से किया किनारा
सखियो की पटरानी ने
भैया का मन भर भर आये
छोड़ चली माँ जाई रे
बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गयी आज परायी रे
डोली देख जियरा डोले
आँख नीर भर लायी रे

खेत क्यार में खो कर गोरी
हमको भूल न जाना
रोज़ नहीं तो कभी कभी
दो अक्सर लिख भिजवाना
धीरे धीरे मधुर सुरो में
यही कहे शेहनाई रे
बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गयी आज परायी रे
डोली देख जियरा डोले
आँख नीर भर लायी रे
बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गयी आज परायी रे
डोली देख जियरा डोले
आँख नीर भर लायी रे

Curiosidades sobre a música Babul Ka Ghar Chhodke Gori de Lata Mangeshkar

De quem é a composição da música “Babul Ka Ghar Chhodke Gori” de Lata Mangeshkar?
A música “Babul Ka Ghar Chhodke Gori” de Lata Mangeshkar foi composta por Sarshar Sailani.

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