Kisne Yu Mujh Ko

Dr Sagar

ओ ओ ओ ओ ओ
हो हो हो हो हो हो
किसने यूँ मुझको छुआ के मैं
पंखों के बिन ऐसे उड़ाने लगा
चाहें जहाँ भी रहूं मगर क्यूँ
जा कर के उससे ही जुड़ने लगा
ओ राहों में मेरी उसके
पाओं के निशान हैं
मंज़िल की जानिब अब तो
चलना आसान है
दूरियाँ सिमट ने लगी
खाहिशें चटकने लगी
किसका वजूद है यहाँ
कोई मौजूद है यहाँ
किसने यूँ मुझको च्छुअन के मैं
पंखों के बिन ऐसे उड़ाने लगा

ओ ओ ओ ओ ओ
खुश्बू हवओ में है
तू मेरी दुआओं में है
जब से हुआ हैं राबता हा
तू है फलक पे कहीं
दिखती ज़मीन पे नही
ढूँढू मैं तेरा ही पता
मैं भी अब मैं ना रहा
खुद को अब ढूँढू कहाँ
मैं हुआ लापता
किसने यूँ मुझको छुआ के मैं
पंखों के बिन ऐसे उड़ाने लगा

परिंदे चहकने लगे
पाँव क्यूँ बहकने लगे
नक्स तू ही होता जा रहा
हो.. खिजाये महकने लगीं
खावहिशें बहेकने लगीं
ये क्या गजब हो रहा
दूर तलक जाता हूँ मैं
तुझको ही पाता हूँ मैं
जाऊ मैं, जाऊ जहाँ
किसने यू मुझ को छुआ के मैं
पंखों के बिन ऐसे उड़ने लगा
चाहे जहाँ भी रहूं मगर क्यूँ
जाकर के उस से ही जुड़ने लगा
हो हो हो हो हो हो हो

Curiosidades sobre a música Kisne Yu Mujh Ko de K.K.

De quem é a composição da música “Kisne Yu Mujh Ko” de K.K.?
A música “Kisne Yu Mujh Ko” de K.K. foi composta por Dr Sagar.

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