Mujhe Kho Jane Do
A IRSHAD, KISHORE KUMAR
मुझे खो जाने दो
दुनिया की निगाहों से करीब
जहा न ढूंढ सके
कोई नज़र मेरा निशान
कोई आवाज़ न पहुंचे
कोई आंसू न बहे
किसी तिनके किसी जर्रे को
न हो मेरा गुमान
मेरी लाश पर रख दे
कुदरत ही एक सफ़ेद कफ़न
रूह को मेरी नाजारो मे हि
खो जाने दो
दास्ताँ मेरी हवओ को ही
दोहरा ने दो