Manzil Kahan Meri Gulshan Kahan Mera
मंज़िल कहा मेरी
गुलशन कहा मेरा
मै कौन हु क्या हु
कहा खोया जहाँ मेरा
मंज़िल कहा मेरी
गुलशन कहा मेरा
क्या थी मेरी दुनिआ
नहीं ये भी पता मुझको
क्या थी मेरी दुनिआ
नहीं ये भी पता मुझको
सुनी हुई महफ़िल न जाने क्या हुआ मुझको
मिलता नहीं आखिर
क्यों आशिया मेरा
मै कौन हु क्या हो
कहा खोया जहाँ मेरा
मंज़िल कहा मेरी
गुलशन कहा मेरा
ए दिल सुना मुझको
मेरे असको का अफसाना
ए दिल सुना मुझको
मेरे असको का अफसाना
मंज़िल है ये कैसी कोई अपना न बेगाना
अब ढूंढ कर लादे
तू कारवा मेरा
मै कौन हु क्या हु
कहा खोया जहाँ मेरा
मंज़िल कहा मेरी
गुलशन कहा मेरा