Manmani Se Hargiz Na Daro

Amit Khanna, Roshan Rajesh

हम्म मनमानी से हरगिज़ ना डरो
कभी शादी ना करो
मनमानी से हरगिज़ ना डरो
कभी शादी ना करो

मरज़ी है, अरे आज कहीं बाहर खाना खायें
वो कहेंगी, नहीं साहब
ठीक आठ बजे घर वापस आ जायें
किताब लिये हाथ में आप चैन से बैठे हैं
मेमसाहब पूछेंगी क्यों जी हमसे रूठे हैं
कभी किसी भी नारी से कर लो, दो बातें
वो कहेंगी, क्या इन्हीं से होती हैं
क्या छुप के मुलाक़ातें
अजी तौबा बेवक़ूफ़ी की है शादी इन्तहाँ
हर औरत अपना सोचे, औरों की नहीं परवाह
क्यों ठीक नहीं कहा मैंने
जो जी में आये वो करो कभी शादी ना करो
मनमानी से हरगिज़ ना डरो
कभी शादी ना करो

ज़रा सोचिए, आराम से आप ये जीवन जी रहे हैं
पसन्द का खा रहे, पसन्द का पी रहे हैं
अच्छा भला घर है आपका, लेकिन क्या करें
आपसे जुदा है शौक बेगम साहब का
आते ही कहे सुनिए जी, हर चीज़ को बदलो
पहले पर्दे, फिर सोफा, फिर अपना हुलिया बदलो
अजी माना तन्हाई से कभी दिल घबराएगा
जीवनसाथी की ज़रूरत महसूस कराएगा
लेकिन इस घबराहट में जो शादी कर बैठे
वो उम्र भर पछताएगा
जीते जी अरे भाई न मरो कभी शादी न करो
मनमानी से हरगिज़ ना डरो
कभी शादी ओ कभी शादी
हा कभी शादी ना बाबा ना

Curiosidades sobre a música Manmani Se Hargiz Na Daro de Kishore Kumar

De quem é a composição da música “Manmani Se Hargiz Na Daro” de Kishore Kumar?
A música “Manmani Se Hargiz Na Daro” de Kishore Kumar foi composta por Amit Khanna, Roshan Rajesh.

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