Kaise Dekhun Meri Ankhon Ke

Gulzaar, R. D. Burman

कैसे देखु मेरी आँखो के
बहुत पास हो तुम
कैसे देखु मेरी आँखो के
बहुत पास हो तुम
कैसे देखु मेरी आँखो के
बहुत पास हो तुम
तुमको महसूस ही करता हू
के एहसास हो तुम

महके रहते हो मेरे जिस्म मे
देखु कैसे
कोई उम्मीद हो जैसे
कोई विषवास हो तुम
कैसे देखु मेरी आँखो के
बहुत पास हो तुम

तुमको छूने से घनी छाँव का
मस मिलता है
तुमको छूने से घनी छाँव का
मस मिलता है
और होठो से कटे चाँद का रस मिलता है

ढूंढते रहने से मिलता नही कोई तुमसा
तुमसा मिल जाए तो किस्मत से ही बस मिलता है
महके रहते हो मेरे जिस्म मे देखु कैसे

गूँजती रहती हो तुम
सांसो मे खुसबु की तरह
गूँजती रहती हो तुम
सांसो मे खुसबु की तरह
और आँखो से हसीन चेहरा
पढ़ा करते है

हमने तो आँखो से
अब सुन ने की आदत कर ली
और होठों से सांस गिना करते है
महके रहते हो मेरे जिस्म मे
देखु कैसे
कोई उम्मीद हो जैसे
कोई विषवास हो तुम

कैसे देखु मेरी आँखो के
बहुत पास हो तुम
तुमको महसूस ही करता हू
के एहसास हो तुम
कैसे देखु मेरी आँखो के
बहुत पास हो तुम

Curiosidades sobre a música Kaise Dekhun Meri Ankhon Ke de Kishore Kumar

De quem é a composição da música “Kaise Dekhun Meri Ankhon Ke” de Kishore Kumar?
A música “Kaise Dekhun Meri Ankhon Ke” de Kishore Kumar foi composta por Gulzaar, R. D. Burman.

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