Kabhi Khili Dil Ki Kali [Long]

Qamar Jalalabadi, Sharda

कभी खिली दिल की कली
गम की भी हवा चली
कभी फ़िज़ा कभी है बहार
यही तो है दुनिया यही है संसार
कोई नहीं छोटा यहाँ
कोई नहीं बड़ा यहाँ
किस्मत का क्या है जुबान
यही तो है दुनिया यही है संसार
कोई नहीं छोटा यहाँ
कोई नहीं बड़ा यहाँ

लपकी थी बिजली सी दिल में
उनसे जब जब नज़रे मिली
कितनी ही बाते चाहा कहना
लेकिन जुबां ना खुली
कितनी भी बाते चाहा कहाँ
लेकिन जुबां ना खुली
दिल में छुपा रहा दिल का प्यार
यही तो हैं दुनिया यही हैं संसार
कोई नहीं छोटा यहाँ
कोई नहीं बड़ा यहाँ

बसे है दिल में अरमा इतने
जिनका हिसाब नहीं
पुरे होंगे इनमे कितने
कोई जवाब नहीं
पुरे होंगे इनमे कितने
कोई जवाब नहीं
एक है दिल सपने हज़ार
यही तो हैं दुनिया यही हैं संसार
कोई नहीं छोटा यहाँ
कोई नहीं बड़ा यहाँ

जीवन की लम्बी लम्बी राहें
ले जाएँगी कहाँ
टल ना सकेगी जुदाई
फिर भी आशाये है ज़वा
टल ना सकेगी जुदाई
फिर भी आशाये है ज़वा
मिलन की आरजू बरक़रार
यही तो हैं दुनिया यही हैं संसार
कोई नहीं छोटा यहाँ
कोई नहीं बड़ा यहाँ
लालालालालालाला

Curiosidades sobre a música Kabhi Khili Dil Ki Kali [Long] de Kishore Kumar

De quem é a composição da música “Kabhi Khili Dil Ki Kali [Long]” de Kishore Kumar?
A música “Kabhi Khili Dil Ki Kali [Long]” de Kishore Kumar foi composta por Qamar Jalalabadi, Sharda.

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