Lamhein Beetey Hue
Nikhil Kotibhaskar
हं हं हं हं
हं हं हं हं
लम्हें बीते हुए अब जी लू फिर से मैं
हम दोनों साथ हों जिनमें
लम्हें जो थे रुके उठकर चलने लगे
शीशे से दिख गए आँखों में
बहती सारी यादों से
बूँदें चुन ली जो मैने
बरसे तेरे ही ख्वाब हैं
ख़्वाबों की वो अंगड़ाई
और लफ्ज़ो की गहराई
ठहरे मेरे इन आँखों में
धुंधली राहों पे फिर से हम चलें
यू ही हम चलते ही रहें
क़दमों के निशान कुछ कहने लगे
उनको हम सुनते ही चलें
लेकर हम उनको जाएँ वहाँ
मंज़िल हमारी हो जहाँ
मिलकर हम दोनों जी लें वहाँ
थम जाए सारा ये जहाँ