TASALLEE

Dr Ashim K Mukherjee, Payam Saeedi

जो तसल्ली के बहाने आये
अपने ही ज़ख्म दिखने आये
तेरी महफ़िल से पलटने वाले
लेके अश्कों के ख़ज़ाने आये

हम भी वो भी थे लूटा जब गुलशन
किस पे इलज़ाम ना जाने आये
टूटता जब कोई शीशा देखा
याद कुछ ज़ख्म पुराने आये

जब कोई रूठ के दुनिया से चला
कब्र तक लोग मनाने आये
ऐक दीवाने को समझाने पयाम
जाने कितने ही सियाने आये

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