Zulmat Kade Mein Mere

JAGJIT SINGH, MIRZA GHALIB

ज़ुल्मत-कदे में मेरे
ज़ुल्मत-कदे में मेरे, शब-ए-ग़म का जोश है
इक शम’आ है दलील-ए-सहर, सो ख़मोश है

दाग़-ए-फ़िराक़-ए-सोहबत-ए-शब की जली हुई
दाग़-ए-फ़िराक़-ए-सोहबत-ए-शब की जली हुई
इक शम’आ रह गई है, सो वो भी खामोश है
ज़ुल्मत-कदे में मेरे, शब-ए-ग़म का जोश है

आते हैं ग़ैब से, ये मज़ामीं ख़याल में
आते हैं ग़ैब से, ये मज़ामीं ख़याल में
ग़ालिब, सरीर-ए-ख़ामा नवा-ए-सरोश है
ज़ुल्मत-कदे में मेरे, शब-ए-ग़म का जोश है
इक शम’आ है दलील-ए-सहर, सो ख़मोश है
ज़ुल्मत-कदे में मेरे, शब-ए-ग़म का जोश है

Curiosidades sobre a música Zulmat Kade Mein Mere de Jagjit Singh

Quando a música “Zulmat Kade Mein Mere” foi lançada por Jagjit Singh?
A música Zulmat Kade Mein Mere foi lançada em 2004, no álbum “Zulmatkade Mein Mere”.
De quem é a composição da música “Zulmat Kade Mein Mere” de Jagjit Singh?
A música “Zulmat Kade Mein Mere” de Jagjit Singh foi composta por JAGJIT SINGH, MIRZA GHALIB.

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