O Chaand
Brite Roy
दर्पण बना लो री संग
मदिरा से छलके है रंग
जागी है मन मे सिहरन
मुख पे चंदा की किरण..
गहरे है सबसे लहरे है काब्से
जबसे लिखी तेरी गाज़ल
ओ चाँद तेरी खामोशिया
क़ाफ़िर का साज़ है क्यू
ओ चाँद तेरी चाँदनी
शायर का राज़ है क्यू
बीती बीती जाए ना कहीं
प्यारी प्यारी सी ये ज़िंदगी
ऊ... बीती बीती जाए ना कहीं
प्यारी प्यारी सी ये ज़िंदगी
ओ चाँद तेरी खामोशिया
रात जागती है क्यू
ओ चाँद तेरी चाँदनी
सुबह भूलती है क्यू
चाँद