Mann Ka Mayura
नैनों के तीरे तेरे
सपने दिखे जो मेरे
कहे ना बोले मेरा नाम
कब से हैं हम भी तेरे
फिर भी मिल ना सकें रे
गम की ढली रे अब शाम
तू ही तो प्यारा एक था हमारा
तुझको ही ढूंढते हारे
मन का मयूरा
मन का मयूरा तुझको पुकारे रे
मन का मयूरा तुझको पुकारे रे
तू जैसे चाहे मुझे अपना बना ले रे
रो लूं खुशी से मुझे गले से लगा ले रे
ओ रे मयूरे क्यों है अधूरे
मैं तो तेरे पास रहा
क्यों ना तू देखे सर आँखों मेरे
तू भी मेरे साथ रहा
ऐसा कोई पल ना है ना होगा कल
तेरे बिना कभी मेरी सांसे जाए चल
ऐसा कोई दिन धूप ने छूआ तुझे
तू ना जाना पर मैं भी रहा था जल
जब तू ना सोया मैं भी था रोया
हर तेरा दर्द सहा रे
मन का मयूरा किसको पुकारे रे
मन का मयूरा किसको पुकारे रे
मैं तो खड़ा हूं यहीं बाहें पसारे रे
आ चल जन्मों की रस्में निभा ले रे
राहें थी टेढ़ी मेढ़ी
पर तुझ तक जो आ ठहरी
मंजिल वंजिल से क्या ही काम
जग का बिगड़ा तूने सवारा
हम हुए तेरे सहारे
मन का मयूरा किसको पुकारे रे
मन का मयूरा तुझको पुकारे रे
आ तेरे प्रेम की दुनिया सजा ले रे
आ दोनों संग सारी उम्र बिता ले रे