Ghar Chhod Ke Bhi Zindagi

HARIHARAN ANANTHA SUBRAMANI, MUMTAZ RASHID

घर छ्चोड़ के भी ज़िंदगी
हेरआनियों में हैं
घर छ्चोड़ के भी ज़िंदगी
हेरआनियों में हैं
शेरो का शोर दस्त की
वीरनियो में हैं
घर छ्चोड़ के

कितना कहाँ था उससे की
दामन समेत ले
कितना कहाँ था उससे की
दामन समेत ले
अब हू भी मेरे साथ
परेशानियों में हैं
अब हू भी मेरे साथ
परेशानियों में हैं
शहरों का शोर…
शहरों का शोर दस्त की
वीरनियो में हैं
घर छ्चोड़ के

लहरो में ढूंढता हूँ में
खोए हुए नागिन
लहरो में ढूंढता हूँ में
खोए हुए नागिन
शहरों का अक्ष बहते हुए
पानी ओ में हैं
शेरो का अक्ष बहते हुए
पानी ओ में हैं
शहरों का शोर दस्त की
वीरनियो में हैं
घर छ्चोड़ के

डरता हूँ ये भी वक़्त
हाथो से मीट ना जाए
डरता हूँ ये भी वक़्त
हाथो से मीट ना जाए
हल्की सी जो चमक अभी
पिशणीयो में हैं
हल्की सी जो चमक अभी
पिशणीयो में हैं
शहरों का शोर
शहरों का शोर दस्त की
वीरनियो में हैं
घर छ्चोड़ के भी ज़िंदगी
हेरानियो में हैं
शहरों का शोर

Curiosidades sobre a música Ghar Chhod Ke Bhi Zindagi de Hariharan

De quem é a composição da música “Ghar Chhod Ke Bhi Zindagi” de Hariharan?
A música “Ghar Chhod Ke Bhi Zindagi” de Hariharan foi composta por HARIHARAN ANANTHA SUBRAMANI, MUMTAZ RASHID.

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