Kaise Koi Jiye Zehar Hai Zindagi
कैसे कोई जिए
कैसे कोई जिए ज़हर है ज़िन्दगी
उठा तूफान वो उठा तूफान
आश् के सब बुझ गए दिए
कैसे कोई जिए
बाद्ल है या धुआँ आग लगी कहा
जलता न हो कही मेरा ही आशिया
अंगारे थे आंसू नहीं वो दिल मे जो किए
कैसे कोई जिए ज़हर है ज़िन्दगी
उठा तूफान वो उठा तूफान
आश् के सब बुझ गए दिए
कैसे कोई जिए
तारे न जाने उँचाई गगन की
आँखे न समझे गहरायी मन की गहरायी मन की तारे न जाने
प्यासे पपीहे ने आश् थी बाँधी
उड़ गए बादल आ गयी आँधी
गम ने जो छेड़ा सिलवती से होंठ सी लिए
कैसे कोई जिए ज़हर है ज़िन्दगी
उठा तूफान वो उठा तूफान
आश् के सब बुझ गए दिए
कैसे कोई जिए