Prakhar
आज दहाड़ में भर दे शोला
देख रहा है जग सारा
तुझको क्या रोके यह दुनिया
तू शंखनाद तू हुंकारा
ये जमीन ये आसमान गूंज कर कहता जहां
ये जमीन ये आसमान गूंज कर कहता जहां
है कण कण में तू ही बसर
प्रवर प्रखर तू है खरतर प्रवर प्रखर तू है खरतर
जिनेश्वर की तू बहती लहर
प्रवर प्रखर तू है करतर
रे ग म प रे ग म प रे ग म प रे ग रे
रे ग म प रे ग म प रे ग म प ग रे
रे ग म प रे ग म प रे ग म प रे ग रे रे ग रे ग रे ग रे
जिन शाशन कि आन तू
धर्म का अभिमान तू
संयम का आयाम तू
जिन शासन की आन तू
धर्म का अभिमान तू
संयम का आराम तू शौर्य का तू ही शिखर
प्रवर प्रखर तू है खरतर प्रवर प्रखर तू है खरतर
वीर का तू आशीर्वाद है
वर्धमान का तू नाद है
जिनेश्वर का सिंह नाद है
वीर का तू आशीर्वाद है
वर्धमान का तू नाद है
जिनेश्वर का सिंह नाद है
दादा गुरुओं की तू महर
प्रवर प्रखर तू है खरतर प्रवर प्रखर तू है खरतर
प्रखर तू खरतर प्रखर तू खरतर
अंतर का स्वास तू
आत्म का एहसास तू
सद ज्ञान का आवास तू
अंतर का स्वास तू
आदम का अहसासतू
सद ज्ञान का आरास तू
पियुष की तू बहती लहर
प्रवर प्रखर तू है खरतर प्रवर प्रखर तू है खरतर
आ आ आ आ आ आ
सत्य का संज्ञान तू
युग का वरदान तू
हां मैत्री का भी नाम तू
सत्य का संज्ञान तू
युग का वरदान तू
मैत्री का भी नाम तू है जहां रोशनी हर पहर
प्रवर प्रखर तू है खरतर प्रवर प्रखर तू है खरतर
मेरी धड़कने मेरी सांस तू
मेरा मान तू तू विश्वास तू
मेरी धड़कने मेरी सांस तू
मेरा मान तू विश्वास तू
उतम को हरिता प्रकाश तू
है क्रांति का तू ही समर
प्रवर प्रखर तू है खरतर प्रवर प्रखर तू है खरतर
जिनेश्वर की तू बहती लहर प्रवर
प्रखर तू है खरतर
कोटिक गण पज शाखा चंद्र कुल खरतर
कोटिक गण पज शाखा चंद्र कुल खरतर