Gumshuda
या या वो ओ वो ओ ओ
सोफा पे लेटा मे ना बिलकुल कोई शरम थी (शरम थी)
पास तू बैठी जोता जला सब मलंग ही (मलंग ही)
ढूंडे चले हम ताज़गी क्यूकी थक गये बनके आलसी
आवारगर्दी से हम थक गये गुमशुदा गुमशुदा (हम थक गये)
छाव मे चुपके बैठा, गुमशुदा खुशनुमा, खुश थोड़ा
ल़हेर आती सामने, हा मे खुश थोड़ा (थोड़ा)
खुशनुमा ज़रा मुस्कुरा
ल़हेर आती सामने उसमे डूब ज़रा
मौसम बना है यह दुखभरा
तुझको देखा, बैठा चुप ज़रा
हाथ थामा, मेरा साथ चाहा
मेरे जाने से पहले तू रुक ज़रा
हमेशा मे बनना चाहता, चीज़ें करना चाहता खुदसे बेहतर
पर तेरी यादें अजीब ओह रहबर, बेघर करे मुझमे ही रहकर
ना करना ज़ाया तेरा वक़्त
तुझमे पाया मैने सब
अब खुदमे ढूंढूँ तुझे मे हू अधूरा, तेरी छाया की तलब
ज़िंदगी के चलते फिरते पैचे लड़ते
मे तो लेता, लिखता बैठा गाने, सारे लिखते सपने
दफ़्न है दूर मुझसे मेरी खुशिया अब खोदू फिरसे
मे रोदूं फिरसे, या इश्स टूटे दिल को जोड़ू फिरसे
सोफा पे लेटा मे ना बिलकुल कोई शरम थी (शरम थी)
पास तू बैठी जोता जला सब मलंग ही (मलंग ही)
ढूंडे चले हम ताज़गी
क्यूकी थक गये बनके आलसी
आवारगार्दी से हम थक गये गुमशुदा गुमशुदा (थक गये)
छाव मे चुपके बैठा, गुमशुदा खुशनुमा, खुश थोड़ा
ल़हेर आती सामने, हा मे खुश थोड़ा
तंग आया ज़िंदगी से कमाया बस कमी है
दूसरो को खुश करने के पीछे यू खोया खुशी मे
जीने के तरीके देते, हर पल ये नसीहत लेके
हुआ fail मुझपे हस्ते जब काग़ज़ के पन्ने
इनपे करता राज, पाला बढ़ा पिंजरे मे
उड़ना लगती बीमारी जसबा चड़ा मुझमे
जब लगी थी ये चिंगारी साँस लेना चाहता
बढ़ रही आबादी
अकेला रहना चाहता जब सारे साथ है
ख़याल खराब ख्वाहिशो का ना हिसाब है
भीड़ मे खोया ढूंड रहा अपनी ये पहचान मे
शीशे मे जब देखु तो दिखता सिर्फ़ हैवान है
सोफा पे लेटा मे ना बिलकुल कोई शरम थी
पास तू बैठी जोता जला सब मलंग ही
ढूंडे चले हम ताज़गी क्यूकी थक गये बनके आलसी
आवारगार्दी से हम थक गये गुमशुदा गुमशुदा
छाव मे चुपके बैठा, गुमशुदा खुशनुमा, खुश थोड़ा
ल़हेर आती सामने, हा मे खुश थोड़ा
गुमशुदा, थोड़ा लुफ्ट उठा
थोड़ा मुस्कुरा, वो बोले, वो बोले
गुमशुदा, थोड़ा लुफ्ट उठा
थोड़ा मुस्कुरा, वो बोले, वो बोले