Meri Yaad Aayee

MOHD. SHAFI NIYAZI, QAISAR JAFFARI

हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
मेरी याद आई जुदाई के बाद
मेरी याद आई जुदाई के बाद
मेरी याद आई जुदाई के बाद
वो रोए बहुत बेवफ़ाई के बाद
मेरी याद आई जुदाई के बाद
मेरी याद आई जुदाई के बाद
मेरी याद आई जुदाई के बाद

बहुत दूर तक सोचना चाहिए
बहुत दूर तक सोचना चाहिए

अपना दिल अपनी तबाही का सबब होता है
अपना दिल अपनी तबाही का सबब होता है
ये जवानी का ज़माना भी अजब होता है
कौन सी बात ने किस शख़्स का दिल तोड़ दिया
बोलने वाले को एहसास ही कब होता है

बहुत दूर तक सोचना चाहिए
बहुत दूर तक सोचना चाहिए

बुराई से पहले, बुराई के बाद
बुराई से पहले, बुराई के बाद
बुराई से पहले, बुराई के बाद आ आ आ

लड़ाई का हासिल बस एक कब्र थी
लड़ाई का हासिल बस एक कब्र थी

ख़ुद अपने हक़ के लिए भी
ख़ुद अपने हक़ के लिए भी झगड़ सके ना कभी
मिज़ाज ऐसा मिला है कि लड़ सके ना कभी

लड़ाई का हासिल बस एक कब्र थी
लड़ाई का हासिल बस एक कब्र थी

ज़मीं छोड़ दी मैंने भाई के बाद
ज़मीं छोड़ दी मैंने भाई के बाद
ज़मीं छोड़ दी मैंने भाई के बाद

अभी राह में हैं समंदर बहुत
अभी राह में हैं समंदर बहुत

ना हौसले
ना हौसले, ना इरादे बदल रहे हैं लोग
थके-थके हैं, मगर फिर भी चल रहे हैं लोग
ना हौसले, ना इरादे बदल रहे हैं लोग
थके-थके हैं, मगर फिर भी चल रहे हैं लोग

वफ़ा, ना प्यार, ना किरदार, ना उसूल कोई
वफ़ा, ना प्यार, ना किरदार, ना उसूल कोई
ना जाने कौन से साँचे में ढल रहे हैं लोग

अभी राह में हैं समंदर बहुत
अभी राह में हैं समंदर बहुत

ख़ुदा मत बनो ना-ख़ुदाई के बाद
ख़ुदा मत बनो ना-ख़ुदाई के बाद
ख़ुदा मत बनो ना-ख़ुदाई के बाद) आ आ आ आ

मकानों को क्या देखते हो, मियाँ?
मकानों को क्या देखते हो, मियाँ?
छुप-छुप के एहतिमाम-ए-सफ़र का पता चला
छुप-छुप के एहतिमाम-ए-सफ़र का पता चला
वो मर गया तो उसके हुनर का पता चला

और जब एक-एक फूल उड़ा ले गई हवा
जब एक-एक फूल उड़ा ले गई हवा
उस दिन बहार को मेरे घर का पता चला

मकानों को क्या देखते हो, मियाँ?
मकानों को क्या देखते हो, मियाँ?

खंडहर हो गया मैं लड़ाई के बाद
खंडहर हो गया मैं लड़ाई के बाद
खंडहर हो गया मैं लड़ाई के बाद

ये दुनिया है क़ैसर, सँभल कर चलो
ये दुनिया है क़ैसर, सँभल कर चलो

तेरे ख़याल से, तेरी गली से बच जाता
तेरे ख़याल से, तेरी गली से बच जाता
तो सारे शहर की मैं दुश्मनी से बच जाता

अगर गुनाह का मौक़ा गँवा दिया होता
अगर गुनाह का मौक़ा गँवा दिया होता
तो मैं ज़मीर की शर्मिंदगी से बच जाता

ये दुनिया है क़ैसर, सँभल कर चलो
ये दुनिया है क़ैसर, सँभल कर चलो

कहाँ जाओगे जग-हँसाई के बाद?
कहाँ जाओगे जग-हँसाई के बाद?
कहाँ जाओगे जग-हँसाई के बाद?

वो रोए बहुत बेवफ़ाई के बाद
मेरी याद आई जुदाई के बाद
मेरी याद आई जुदाई के बाद
मेरी याद आई जुदाई के बाद

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