Uttar Dakshin
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
अनजानी राहों में घुमु
दिन झूमे रातें झूमे दो
दिल भी झूमे मैं भी झुमु
तुम जो कहो कहते रहो
यह है दीवानगी
उलटी सीधी दाए बाए आगे
पीछे तू क्यों घुमे
अरे दिन झूमे ना झूमे
रेट दीवानी बस तू ही झूमे
यूँ नाचती यूँ झुमाती
क्यों है तू घुमति
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
अनजानी राहों में घुमु
दिन झूमे रातें झूमे दो
दिल भी झूमे मैं भी झुमु
हा भाई हा..
परदेसी हम और पराए नगर
दीवानी तू चली है किधर
अब्ब मेरी बात मानले डा
छोड़ दूँ मैं घर
यह रोशनी में नहाया नगर रूकती
नहीं है कही भी नज़र
इन् रास्तो को छोड़के
जायेगा कौन घर
जरा ठहरो
मुझे छोडो
तू मेरी जान ऐसे कहाँ बहकी बहकी चली
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
अनजानी राहों में घुमु
हा दिन झूमे रातें झूमे
दो दिल भी झूमे मैं भी झुमु
हा भाई हा
काम ना हुयी जो तेरी मस्तिया
बदनामी तेरी होगी यहाँ
अरे कुछ तोह समझ से
काम ले तेरे होश हैं कहा
दुनिया बनती रहे दास्ताँ
बदनामी का डर मुझे हैं कहा
अब्ब तोह यह दिल जहा
कहे जाउंगी मैं वहां
जरा ठहरो
मुझे छोडो
छोडो
इतना समझ आये नासमझ
यह है आवारगी
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
अनजानी राहों में घुमु
दिन झूमे रातें झूमे दो
दिल भी झूमे मैं भी झुमु
तुम जो कहो कहते रहो
यह है दीवानगी
उलटी सीधी दाए बाए आगे
पीछे तू क्यों घुमे
अरे दिन झूमे ना झूमे
रेट दीवानी बस तू ही झूमे
यूँ नाचती यूँ झुमाती क्यों है तू घुमति
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
अनजानी राहों में घुमु
दिन झूमे रातें झूमे दो
दिल भी झूमे मैं भी झुमु
हा भाई हा……