Koi Humdum Na Raha
Sameer
हे हे हे हे हे हे हे हे
कोई हमदम न रहा कोई सहारा न रहा
हम किसी के न रहे कोई हमारा ना रहा
कोई हमदम न रहा कोई सहारा न रहा
शाम तन्हाई की है आएगी मंज़िल कैसे
शाम तन्हाई की है आएगी मंज़िल कैसे
जो मुझे राह दिखाए वही तारा न रहा
कोई हमदम न रहा कोई सहारा न रहा
क्य बताऊँ मैं कहाँ यूँही चला जाता हूँ
क्या बताऊँ मैं कहाँ यूँही चला जाता हूँ
जो मुझे फिर से बुलाह ले वह इशारा न रहा
कोई हमदम न रहा कोई सहारा न रहा
हम किसी के न रहे कोई हमारा ना रहा.