Awaaz Do
ओ.. ओओ.. ओ.. ओओ
ओ.. ओओ.. ओ.. ओओ
ओ.. ओओ.. ओ.. ओओ
ओ.. ओओ.. ओ.. ओओ
बढ़ते जाओ
थम ना पाए
क़दम उठे जो
मकसद है इन्साफ दिलाना
आज लड़ाई
रुक ना पाए
सुन लो सारे
आओ मिलके साथ निभाना
चिंगारी को आग लगाए
सोया है जो आज जगाए
वक़्त निकलता क्यों है दे दिया
इन्साफ का मेरा खामी है
लाचार पड़ी रखवाली है
अब तक डाली क्यों है बेड़िया
आवाज़ दो
अंजाम को
इन्साफ हो हो
आवाज़ दो
इस पैगाम को
इन्साफ हो हो
ख्वाबो के बादल तले
क्यों है ये बरबादियाँ
पूछे ज़मीर तुझे
पूछे ये परछाइयाँ
अभी ना रूके
कभी ना रुकपाएगा
दरिया बुराई का
बढ़ता ही जाएगा
डर के अँधेरे
रोशन सवेरे
हां तू पढ़ा सब औ
आवाज़ दो
अंजाम को
इन्साफ हो हो
आवाज़ दो
इस पैगाम को
इन्साफ हो हो
आवाज़ दो
अंजाम को
इन्साफ हो हो
आवाज़ दो
अंजाम को
इन्साफ हो हो
आवाज़ दो
अंजाम को
इन्साफ हो हो
आवाज़ दो
इस पैगाम को
इन्साफ हो हो