Ranjish Hi Sahi
AHMED FARAZ, NISAR BAZMI/SRINIVASAN (RE ARRANGED)
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ
रंजिश ही सही
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिये आ
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ
रंजिश ही सही
जैसे तुम्हे आते हैं न आने के बहाने
जैसे तुम्हे जैसे
जैसे तुम्हे आते हैं न आने के बहाने
जैसे तुम्हे आते हैं न आने के बहाने
आ ऐसे ही किसी रोज़ न जाने के लिये आ
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ
रंजिश
माना के महोब्बत का छुपाना है महोब्बत
माना के महोब्बत का छुपाना है महोब्बत
चुपके से किसी रोज़ जताने के लिये आ
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ
रंजिश ही सही